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शिक्षक दिवस प्रतियोगिता


जब एक मानव दूजे मानव
को मानवता सिखलाता है
तो वो ही सच्चे अर्थों में
सच्चा शिक्षक कहलाता है।

गुरु समर्थ सा शिक्षक पा
वीर शिवा छत्रपति हुए
चाणक्य को पाकर चन्द्रगुप्त
सेवक से अधिपति हुए।

त्रिलोकपति भगवान राम भी
गुरु चरणों में आये थे
विश्वामित्र वशिष्ठ की सेवा
की थी चरण दबाए थे।

कर्ज चुकाने गुरु का मोहन
यम के द्वार पे आये थे
गुरुपुत्र के प्राण छीनकर
यम से वापस लाये थे।

शिक्षक खुद को घिसकर
शिष्यों के मस्तक महकाता है
जलकर स्वयं मशाल सा 
दुनिया को रस्ता दिखलाता है ।

दैनिक प्रतियोगिता हेतु
मौलिक रचना 


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11 Comments

Bahut khoob 💐

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Abhinav ji

06-Sep-2022 07:09 AM

Very nice👍

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Anshumandwivedi426

06-Sep-2022 11:51 AM

Thanks so much

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Raziya bano

05-Sep-2022 08:19 PM

बहुत खूब

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Anshumandwivedi426

05-Sep-2022 08:38 PM

कोटि कोटि धन्यवाद

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